बेटी- बाय माँ! जा रही हूँ।
माँ- अच्छा! देख लाली कोई लड़का कुछ कहे ना तो कुछ कहना मत, चुपचाप नज़रें झुका के वापस आ जाना। ऐसे दुष्टों के मुँह क्या लगना। तेरे पापा-भैया को पता लगा तो स्कूल बंद करवा देंगे। जा।
******♀*****
बेटी- नुक्कड़ पर लड़के सीटियाँ बजाते हैं, गंदी-गंदी बातें बोलते हैं। आना-जाना मुहाल कर रखा है। रोज़-रोज़ की बात है आप ही कहो कब तक चुप रहूँ।
पापा- अब अकेले जाने की ज़रूरत नहीं है, भाई के साथ जाना। वरना रहने दो घर पर ही रहो। सिलाई सेण्टर है बाजू में सीखो सिलाई, काम आएगा।
भैया- ज़रूरत क्या है कॉलेज जाने की। मैं तेरा प्राइवेट फ़ॉर्म भरा दूँगा। कॉलेज में कितनी पढ़ाई होती है हमें भी पता है। कोई ज़रूरत नहीं है जाने की।
माँ- चल, अंदर चल बेटा। रो मत।
तुझे बोला था ना, अब मैं भी क्या बोलूँ तेरे
पापा के आगे।
******♀******
बेटी- आज मैंने उसे खींच कर दिया तमाचा। अक्ल ठिकाने ज़रूरी है ऐसे घटिया लोगों की।
माँ- क्या? चांटा मार दिया!!!!
क्यों मारा लाली। नहीं मारना चाहिए था।
उन्होंने कुछ कर दिया तो? लाली लड़कों का कोई भरोसा नहीं, पढ़ाती नहीं पेपर में, लड़के ऐसिड फेंक देतें हैं, उठा लेतें हैं गाड़ी में। अब तू कहीं बाहर नहीं जाएगी घर में ही रहना।
भैया- मारा क्यों?? गुंडा है वो लड़का। समझा दे माँ इसे अब ये घर में ही रहेगी।
पापा- अब घर में ही रहो, कोई ज़रूरत नहीं पढ़ने-लिखने की, ख़ूब पढ़ लिया। अब शादी करेंगे इसकी।
चाचा-चाची- बेटा ज़रूरत क्या है कॉलेज जाने की। अपनी मम्मी और चाची को देखो इंटर तक पढ़ी हैं, अच्छे से घर संभाल रही। दुनिया बहुत ख़राब है बेटा समझो इस बात को।
बेटी- लेकिन पापा........
पापा- बस!!!!! बाहर जाकर ख़ूब मुँह चलाना सीख गई है। समझा लो इसे, जो कह दिया वो कह दिया।
भैया- सब आपके ही लाड़-प्यार का नतीज़ा है। बड़ी आई पढ़ने वाली, जैसे कलेक्टर बनेगी।रोड पर खी-खी-खी करेगी तो कोई भी लड़का ग़लत ही समझेगा।
माँ- चल लाली।...........
******♀******
बेटी- माँ वो चाचा है ना उनकी नज़रें ठीक नहीं लगती मुझे। उन्होंने उस दिन................क्या बोलूँ?? उस दिन मुझे छाती में हाथ लगाया है, और पकड़ने की कोशिश की, मैं छूट कर भागी। बहुत गंदा लगा माँ। मुझे बहुत डर लगता है।
माँ- पागल हो गई है तू????
तेरे चाचा हैं वो। यह बात किसी से बताना मत बेटा। तेरे पापा-भैया को पता लगा तो प्रलय आ जायेगा। औरत की जात चुप ही रहे तो अच्छा है बेटा। तू हमारे घर की इज़्ज़त है, हमारी इज्ज़त मत ख़राब करना।
भैया- ऐसे चिपके-चिपके कपड़े पहन के क्यों मँडराती रहती है दालान में। कोई ढंग के कपड़े क्यों नहीं दिलाती हो माँ इसे। आँगन में खड़े होने की क्या ज़रूरत है। किसी को क्या बोलें, जब अपना ही सिक्का खोटा हो। कुछ कहना मत इस बारे में किसी से। घर की इज़्ज़त लुटवायेगी एक दिन ये।
पापा- बेटी नहीं, कलंक है ये। क्या बोलूंगा मैं अपने भाई से। नाक कटा रखी है इस लड़की ने। जितनी जल्दी हो सके इसको विदा करके गंगा-घोड़े नहा जायें हम लोग। अब किसी के सामने मुँह मत खोलना।
******♀******
फ़िर आप पूछतें हैं कि क्यों लड़कियाँ विरोध नहीं करती। आपने सिखाया क्या घर से ? सीखने दिया क्या उसे छोटेपन से ? उसने कोशिश की तो साथ खड़े हुए क्या ? आप समझे क्या उसे ???
माँ- अच्छा! देख लाली कोई लड़का कुछ कहे ना तो कुछ कहना मत, चुपचाप नज़रें झुका के वापस आ जाना। ऐसे दुष्टों के मुँह क्या लगना। तेरे पापा-भैया को पता लगा तो स्कूल बंद करवा देंगे। जा।
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बेटी- नुक्कड़ पर लड़के सीटियाँ बजाते हैं, गंदी-गंदी बातें बोलते हैं। आना-जाना मुहाल कर रखा है। रोज़-रोज़ की बात है आप ही कहो कब तक चुप रहूँ।
पापा- अब अकेले जाने की ज़रूरत नहीं है, भाई के साथ जाना। वरना रहने दो घर पर ही रहो। सिलाई सेण्टर है बाजू में सीखो सिलाई, काम आएगा।
भैया- ज़रूरत क्या है कॉलेज जाने की। मैं तेरा प्राइवेट फ़ॉर्म भरा दूँगा। कॉलेज में कितनी पढ़ाई होती है हमें भी पता है। कोई ज़रूरत नहीं है जाने की।
माँ- चल, अंदर चल बेटा। रो मत।
तुझे बोला था ना, अब मैं भी क्या बोलूँ तेरे
पापा के आगे।
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बेटी- आज मैंने उसे खींच कर दिया तमाचा। अक्ल ठिकाने ज़रूरी है ऐसे घटिया लोगों की।
माँ- क्या? चांटा मार दिया!!!!
क्यों मारा लाली। नहीं मारना चाहिए था।
उन्होंने कुछ कर दिया तो? लाली लड़कों का कोई भरोसा नहीं, पढ़ाती नहीं पेपर में, लड़के ऐसिड फेंक देतें हैं, उठा लेतें हैं गाड़ी में। अब तू कहीं बाहर नहीं जाएगी घर में ही रहना।
भैया- मारा क्यों?? गुंडा है वो लड़का। समझा दे माँ इसे अब ये घर में ही रहेगी।
पापा- अब घर में ही रहो, कोई ज़रूरत नहीं पढ़ने-लिखने की, ख़ूब पढ़ लिया। अब शादी करेंगे इसकी।
चाचा-चाची- बेटा ज़रूरत क्या है कॉलेज जाने की। अपनी मम्मी और चाची को देखो इंटर तक पढ़ी हैं, अच्छे से घर संभाल रही। दुनिया बहुत ख़राब है बेटा समझो इस बात को।
बेटी- लेकिन पापा........
पापा- बस!!!!! बाहर जाकर ख़ूब मुँह चलाना सीख गई है। समझा लो इसे, जो कह दिया वो कह दिया।
भैया- सब आपके ही लाड़-प्यार का नतीज़ा है। बड़ी आई पढ़ने वाली, जैसे कलेक्टर बनेगी।रोड पर खी-खी-खी करेगी तो कोई भी लड़का ग़लत ही समझेगा।
माँ- चल लाली।...........
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बेटी- माँ वो चाचा है ना उनकी नज़रें ठीक नहीं लगती मुझे। उन्होंने उस दिन................क्या बोलूँ?? उस दिन मुझे छाती में हाथ लगाया है, और पकड़ने की कोशिश की, मैं छूट कर भागी। बहुत गंदा लगा माँ। मुझे बहुत डर लगता है।
माँ- पागल हो गई है तू????
तेरे चाचा हैं वो। यह बात किसी से बताना मत बेटा। तेरे पापा-भैया को पता लगा तो प्रलय आ जायेगा। औरत की जात चुप ही रहे तो अच्छा है बेटा। तू हमारे घर की इज़्ज़त है, हमारी इज्ज़त मत ख़राब करना।
भैया- ऐसे चिपके-चिपके कपड़े पहन के क्यों मँडराती रहती है दालान में। कोई ढंग के कपड़े क्यों नहीं दिलाती हो माँ इसे। आँगन में खड़े होने की क्या ज़रूरत है। किसी को क्या बोलें, जब अपना ही सिक्का खोटा हो। कुछ कहना मत इस बारे में किसी से। घर की इज़्ज़त लुटवायेगी एक दिन ये।
पापा- बेटी नहीं, कलंक है ये। क्या बोलूंगा मैं अपने भाई से। नाक कटा रखी है इस लड़की ने। जितनी जल्दी हो सके इसको विदा करके गंगा-घोड़े नहा जायें हम लोग। अब किसी के सामने मुँह मत खोलना।
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फ़िर आप पूछतें हैं कि क्यों लड़कियाँ विरोध नहीं करती। आपने सिखाया क्या घर से ? सीखने दिया क्या उसे छोटेपन से ? उसने कोशिश की तो साथ खड़े हुए क्या ? आप समझे क्या उसे ???
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